“दीपावली”
Diwali 2023~ 12th Nov 2023
बुराई पर अच्छाई की जीत,
अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्यौहार है
‘दीपावली’
भारत में यूँ तो त्योहारों की भरमार है और हर त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। जितने पर्व भारत में मनाए जाते हैं उतने शायद ही किसी और देश में होते होंगे। उन्हीं सब त्योहारों में से एक ख़ास त्यौहार है “दीपावली यानि दिवाली”। जिसे पूरा देश बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाता है।
इस लेख में जानेंगे :
दीवाली कब मनाई जाती है ?
क्यों मनाई जाती है दीवाली ?
दीवाली मानाने के पीछे कुछ विशेष कारण/ कथाएं!
कैसे मनाई जाती है दिवाली ?
Diwali कब मनाई जाती है –
कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली का त्यौहार मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से कहें तो दीवाली अक्टूबर या नवंबर के माह में आती है। और हर वर्ष दीवाली की तारीख हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से तय होती है।
वैसे तो सम्पूर्ण भारतवासी इस त्यौहार को बड़ी धूम धाम से मानते हैं लेकिन कुछ राज्यों में दीवाली को लेकर अन्य कारन भी जुड़े हुए हैं। जिस कारण इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
पांच दिन तक मनाया जाने वाला त्यौहार दीपावली सभी भारतियों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है।
पहले दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता है,
दूसरे दिन नरका चतुर्दशी,
तीसरे दिन दीपावली,
चौथे दिन गोवर्धन पूजा और
पांचवा दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
दीपावली = दीप + आवली, दीप यानि दीपक और आवली मतलब पंक्ति।
दीपक जला कर खुशियाँ प्रगट करने का त्यौहार है दीपावली।
Diwali क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे की कुछ कथाएं/ घटनाएं –
प्रत्येक त्यौहार मानाने के साथ कुछ कारण जुड़े हुए हैं। दीवाली के साथ भी बहुत सी मान्यताएं जुडी हुई हैं। दीवाली के प्रति सभी के मन में उत्साह तो भरा रहता ही है साथ ही इसके पीछे की वजह जानने की जिज्ञासा भी होती है।
रावण को हराने के बाद भगवन श्री राम की अयोध्या वापसी –
रामायण में पूरी कहानी का उल्लेख है कि कब क्यों कैसे श्री राम को वनवास काटना पड़ा, इस दौरान श्री राम की धर्मपत्नी सीता को रावण उठा कर ले गया, कैसे हनुमान जी और लक्ष्मण जी ने श्री राम का पूर्ण साथ दिया, रावण से युद्ध के दौरान रावण का वध कर श्री राम, सीता को वापस अयोध्या लाए। श्री राम अपनी पत्नी सीता व् भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या वापिस लौटे। तब सभी ने दीपक जला कर उनका स्वागत किया । अपनी खुशियों को इज़हार करने के लिए लोगों ने अपने घरों में घी के दीपक जलाये और आपस में मिठाई साँझा कीl और इसी प्रकार हर वर्ष दीवाली का तोहार मनाया जाने लगा।
सिखों के लिए दीवाली का ख़ास महत्व –
सिखों के गुरु हर गोबिंद सिंह जी जहांगीर की कैद से आज़ाद हुए तथा सभी बंधकों को भी रिहा करवाया। जब वह अमृतसर पहुंचे तब पुरे गुरूद्वारे में दीप जलाकर गुरु जी का स्वागत किया गया। वह दिन कार्तिक मास की अमावस्या का ही दिन था। इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाने का फैसला लिया गया। क्योंकि गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने अपने साथ अपनी सूझ बूझ से 52 राजपूत राजाओं को भी आज़ाद करवाया था। यह दिन ख़ास त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
Diwali
नरकासुर का वध –
कृष्ण युग में कार्तिक मास के कृष पक्ष की चतुर्दशी को भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से अत्यचारी राक्षस नरकासुर का वध किया था। उस राक्षस ने जिन 16000 युवतियों का अपहरण किया हुआ था उन्हें श्री कृष्ण ने मुक्त करवाया। धरती से एक दुराचारी का अंत हुआ। प्रजा में ख़ुशी की लहर थी। इसी के साथ इस दिन को सद्भावना के साथ त्यौहार की तरह मनाया जाने लगा।
जैन धर्म में दिवाली का महत्व –
जैन धर्म के अनुयायी दीपावली का दिन बड़ी धूम धाम से मानते हैं। जैन धर्म के 24वें तीर्थकार भगवान महावीर स्वामी को कार्तिक अमावस्या की रात को निर्वाण पद की प्राप्ति हुई थी। भगवान महावीर स्वामी ने कार्तिक मास की अमावस्या के दिन आधी रात को अंतिम उपदेश दिया था। इसी कारण जैन धर्म के लोग दीवाली का त्यौहार त्याग और तपस्या के तौर पर मनाते हैं। और महावीर स्वामी का पूजन करते हैं।
कैसे मनाई जाती है दीवाली –
दीपावली का त्यौहार मानाने के लिए प्रत्येक भारतीय बहुत उत्सुक होता है। कई-कई दिन पहले घर की साफ सफाई शुरू कर दी जाती है। दीपावली के दिन गणेश लक्ष्मी जी के स्वागत से पहले हर कोई अपने घर को खूब सजाना चाहता है। घरों और काम काज की जगहों पर रंग रोगन के साथ सफाई की शुरुवात हो जाती है।
दिवाली से पहले नवरात्रों के दौरान ही लोग खरीदारी करना शुरू कर देते हैं। घर की सजावट से लेकर खुद के सजने सवरने के लिए खरीदारी की जाती है। जैसे कि घर के लिए नया फर्नीचर, परदे, इलेक्ट्रॉनिक या कोई अन्य बड़ा सामान इत्यादि। यहाँ तक कि लोग नया वाहन भी दिवाली के मौके पर लेने का इंतज़ार करते हैं।
दिवाली के दिन के लिए विशेष खरीदारी की जाती है जैसे कि चावलों की बनी हुई खील, पताशे, चीनी से बने हुए खिलोने जो कि खाये जाते हैं। फल, मिठाई, सूखे मेवे, मिटटी के दिए, हटड़ी, कमल के फूल इत्यादि पूजन के लिए रखे जाते हैं।
दीवाली के दिन घर को अनेक प्रकार से सजाया जाता है। अलग अलग रंगो से रंगोली बनाई जाती है। कुछ असली नकली बेल, पौधों , फूल पत्तों से, विभिन्न प्रकार की जगमग लाइटों से घर की सुंदरता बढ़ाई जाती है। इन दिनों बाज़ारों में खूब रौनक होती है।
दिवाली के दौरान सभी लोग अपने प्रियजनों के यहाँ फल, मिठाई इत्यादि भेंट करते हैं।
Diwali
पूजन विधि –
दिवाली के दिन पूजन के लिए लकड़ी की चौंकी पर लाल वस्त्र बिछा कर भगवान गणपति व् लक्ष्मी जी की मूर्ति तथा हटड़ी स्थापित की जाती है। और एक लौटा जल का भर कर रख लिया जाता है। मिटटी के दियों में रुई की बत्तियां लगा कर अपनी अपनी इच्छा अनुसार तेल या घी डालकर दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं। घर व् घर के बहार हर और दियों से घर जगमगा उठता है।
अमावस्या की रात होते हुए भी चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश होता है। पूजन के दौरान लक्ष्मी गणेश जी के साथ साथ कुबेर पूजन भी किया जाता है। दीपक जला कर, तिलक लगा कर, मौली, चावल, फल गुड़ व् मिठाई इत्यादि से पूजा की जाती है। धन का सदुपयोग करने के लिए विवेक का होना अति आवश्यक है। इसी कारण सभी यह प्रार्थना करते हैं कि वे सदैव सद्बुद्धि के मार्ग पर चलें। और धन का सही दिशा में उपयोग करें। माँ लक्ष्मी और गणेश जी की आरती के बाद फल, मिठाई से भगवान को भोग लगा कर माँ लक्ष्मी जी को कमल का फूल अर्पित किया जाता है। फिर घर के सभी लोग भोग व् भोजन ग्रहण करते हैं।
आतिशबाजी –
पटाखे व् आतिशबाजी से दीवाली मानाने का उत्साह बच्चों में और भी जोश बढ़ा देता है। रात के समय हर ओर आतिशबाज़ी व् पटाखों की गूँज और रौशनी आसमान को जगमगा देती है।
पुराने ज़माने के मुकाबले आज के दौर में पटाखों का प्रचलन काफी बढ़ा है। लेकिन पर्यावरण को लेकर आज के हालात देखते हुए पटाखों का कम से कम से इस्तेमाल करने की हिदायत दी जाती है।
विदेशों में दिवाली –
भारत के साथ साथ विदेशों में भी दीपावली की रौनक होती है। भारतीय मूल के लोग जिस भी देश में होते हैं वहां दिवाली का त्यौहार मानते हैं और अपनी संस्कृति को ज़िंदा रखते हैं। भारतियों का यह उत्साह देख कर विदेशी भी भारत व् यहाँ की संस्कृति के प्रति आकर्षित होते हैं। श्रीलंका, मलेशिया और नेपाल में भी लोग अपने-अपने ढंग से दिवाली मानते हैं। यहाँ तक कि मलेशिया में इस दिन सरकारी अवकाश होता है।
Diwali के दिन सावधानी बरतने की भी ज़रूरत –
त्यौहारों के मौकों पर खुशियां बानी रहे इसके लिए कुछ सावधानियों को भी ध्यान में रखना ज़रूरी है, जैसे कि –
बच्चों को अकेले में पटाखे न चलाने दें, आग से खेलना या इसके इर्द गिर्द रहना बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है।
ज्यादा आवाज़ वाले बम की आवाज़ कमज़ोर दिल वालों के लिए घातक हो सकती है। ऐसे बम पटाखों का इस्तेमाल हो सके तो न ही करें।
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ही आतिशबाज़ी करें। नियम व् क़ानून का पालन ज़रूर करें।
अगर आप सारी रात दीपक जलाए रखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सतर्क भी रहने होगा। क्योंकि हवा के झोंके से आग किसी भी दिशा मुड़ सकती है। और अगर जलते हुए दियों या मोमबत्तियों के पास कोई सामान या पर्दा है तो कोई अनहोनी हो सकती है। इसलिए दियों को सावधानी पूर्वक जलाएं।
Diwali : The festival of lights
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