“लोहड़ी का त्यौहार”
लोहड़ी का त्यौहार
प्रकृति और ईश्वर को प्राथमिकता देने वाला भारत विभिन्न पर्वों का देश है। भारत में लोहड़ी का त्यौहार बड़े हर्षोउल्लास से मनाया जाता है।
“लोहड़ी” शब्द के हर वर्ण का एक अर्थ है :
जिसमें “ल” का मतलब है लकड़ी
“ओह” का मतलब है सूखे उपले और
“ड़ी” का मतलब है रेवड़ी।
Lohri ~ कब मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार-
लोहड़ी का त्यौहार भारतीय हिंदू कैलेंडर तथा पंचांग के अनुसार हर वर्ष जनवरी मास में संक्रांति से पहले दिन मनाया जाता है। अर्थात पौष मास के अंतिम दिन (यानि माघ मास के पहले दिन) सूर्यास्त के बाद रात्रि को मनाया जाता है।
लोहड़ी का त्योहार हर वर्ष 13 या 14 जनवरी को मनाया जाता है।
क्यों मनाई जाती है लोहड़ी Lohri –
इस दिन किसान अपनी नई फसलों को अग्नि में समर्पित करते हैं और भगवान सूर्यदेव को धन्यवाद करते हैं। लोहड़ी का पर्व सुख-समृद्धि व खुशियों का प्रतीक है।
नई फसलों के उपलक्ष में हिंदू देवी देवताओं की पूजा का प्रतीक लोहड़ी का त्यौहार जिसमें अग्नि देवता की पूजा की जाती है तथा प्रार्थना की जाती है कि भरपूर फ़सलें हों और सभी जीव जंतु व प्राणी स्वस्थ रहें। ऐसी मंगल कामना के साथ अग्नि देवता की पूजा तिल, गुड़ व मूंगफली अर्पित कर की जाती है।
लोहड़ी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है-
सूर्यास्त के पश्चात रात के समय खुले स्थान पर लकड़ी व उपलों से आग जलाई जाती है। सभी लोग मिलकर अग्नि के चारों तरफ इकट्ठे होते हैं। तिल, रेवड़ी, गच्चक, मकई के भुने दाने व् रेवड़ी मूंगफली से अग्नि देवता की पूजा की जाती है। लोहड़ी के गीत गाए जाते हैं।
पहले के समय में बच्चे व बड़े अलग-अलग टोलियाँ बनाकर गीत गा-गा कर लोहड़ी मांगते थे जब कोई उन्हें लोहड़ी में पैसे, लकड़ी, उपले या रेवड़ी इत्यादि देता था तो उन्हें गीत गाकर आशीर्वाद देते थे। लेकिन आज के समय में कोई घर-घर जाकर लोहड़ी बेशक नहीं मांगता लेकिन सब एक साथ मिल जुल कर एक जगह पर इकट्ठे होकर लोहड़ी का त्योहार ज़रूर मनाते हैं।
इस मौसम में पंजाब में किसानों के खेत लहलहाने लगते हैं। रबी की फसल कटकर आती है। ऐसे में नई फसल की खुशी और अगली बुवाई की तैयारी से पहले इस त्योहार को धूमधाम मनाया जाता है। लोहड़ी के समय सर्दी बहुत होती है इसलिए इस दौरान आग जलाने का चलन है।
इस दौरान किसान अपनी नई फसल /अनाज या फिर इससे बना हुआ खाद्य सामान लेकर भी अग्नि देवता को समर्पित करते हैं और अपने आने वाली गेहूं व सरसों की अच्छी फसल की कामना करते हैं।
कहां-कहां मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार-
लोहड़ी पंजाब और हरियाणा का मुख्य त्यौहार है। पंजाब, हरियाणा के अलावा दिल्ली, जम्मू कश्मीर और हिमांचल में भी लोहरी का पर्व धूम धाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
Lohri का त्यौहार दुल्ला भट्टी से कैसे संबंधित है आइए जानते हैं-
मुगल काल में बादशाह अकबर के समय कुछ बड़े व्यापारी सामान के बदले लड़कियों का व्यापार करते थे। पंजाब के रहने वाले दुल्ला भट्टी को यह बात बहुत परेशान करती थी उसने उन व्यापारियों के साथ सामना किया और लड़कियों को उनके चुंगल से छुड़वाकर उनकी शादी स्वयं करवाने का जुम्मा उठाया। उन सभी लड़कियों की शादी करवा कर उनकी जिंदगी सवारी। इसी कारण इस दिन दूल्हा-भट्टी को याद किया जाता है व् उसके नाम का गीत भी गया जाता है।
निम्नलिखित गीत में दुल्ला भट्टी के प्रति आभार व्यक्त किया गया है, गीत इस प्रकार है –
सुंदर मुंदरिये हो!
तेरा कौन विचारा हो!
दुल्ला भट्टी वाला हो!
दुल्हे दी धी हो!
सेर शर्करा पेयी हो!
कुड़ी दा लाल पाठका हो!
कुड़ी दा सालु पाता हो!
सालु कौन समेटे!
चाचा गली देसे!
चाचा चूरी कुट्टी! ज़मीदारा लुत्ती!
जमींदार सुधाए!
बम बम भोले आये!
एक भोला रह गया!
सिपाही दूर के लै गया!
सिपाही ने मारी इत्त!
पानवे रो ते पानवे पिट!
सानू दे दे लोहड़ी, ते तेरी जीवे जोड़ी!
(हँसो, रोओ या चिल्लाओ!)
पढ़िए शिव को समर्पित त्यौहार के बारे में श्रावण मास
Recent Comments