“साइकिल का अविष्कार व इतिहास”
World bicycle day and its history
आज के दौर में सड़कों पर साइकिल कम और गाड़ियां ज़्यादा दौड़ती दिखाई देती हों पर कहीं न कहीं आज भी हम सब का साइकिल से नाता जुड़ा हुआ है। साइकिल लाजवाब है यहां तक कि हर बच्चा साइकिल चलाने का अनुभव तो प्राप्त करता ही है। साइकिल ने आज कल घरों के अंदर एक खास जगह बना ली है, व्यायाम के लिए।
विश्व की बात की जाए तो साइकिल का महत्व प्रत्येक देश में है। हर देश में लोग चाहे कम या ज़्यादा साइकिल का इस्तेमाल तो करते ही हैं। साइकिल को बनाने में कई लोगों का योगदान जुड़ा हुआ है। साइकिल के अविष्कार से लेकर इसकी रूप रेखा तैयार करने तक बहुत से वैज्ञानिकों की एहम भूमिका रही है।
पढ़ें साइकिल पर एक ख़ूबसूरत कविता ” साइकिल लाजवाब है “
तो आइये इस लेख के ज़रिए जानते हैं साइकिल का इतिहास और इससे जुड़ी दिलचस्प बातें –
संयुक्त राष्ट्र द्वारा सब से पहले 3 जून 2018 को साइकिल दिवस मनाया गया था। उसके पश्चात् इसकी खूबियों के मद्देनज़र और लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए ही हर वर्ष 3 जून को “अंतर्राष्ट्रीय विश्व साइकिल दिवस” मनाया जाने लगा।
साइकिल को हिंदी और संस्कृत में क्या कहा जाता है :
हिंदी में साइकिल को – ‘द्विचक्र वाहिनी’
संस्कृत में साइकिल को – ‘द्विचक्रिका’ कहा जाता है
1. सबसे पहले 1418 में इटली के इंजीनियर जिओवानी फोंटाना (Giovanni De La Fontana) ने चार पहियों वाली साइकिल की खोज की। लेकिन यह खोज 400 वर्षों तक धूल फांक कर रह गई।
2. इसके बाद 1816 में पेरिस के कारीगर ने लकड़ी का प्रयोग कर उसे साइकिल का रूप दिया जिसे कि “काठ का घोड़ा” या “हॉबी हॉर्स” का नाम दिया गया।
3. साइकिल की रूपरेखा की बात की जाए तो सन 1817 में “बैरन फॉन ड्रेवीस” ने साइकिल की एक बेहतर रूपरेखा तैयार की जिसे कि लकड़ी से ही बने गया था। उसका नाम ड्रेसियन रखा गया था। इस साइकिल का वजन लगभग 23 किलो ग्राम था और इसकी गति 15 km/hour (किलो मीटर प्रति घंटा) थी। इस साइकिल का प्रयोग 1830 से 1842 के अन्तराल में हुआ।
4. इसके बाद भी साइकिल में कईं बदलाव होते रहे। सन 1839 में स्कॉटलैंड के एक लुहार “किर्क पैट्रिक मैकमिलन” ने साइकिल में आधुनिक बदलाव किये। मैकमिलन ने साइकिल के पहिओं को पैरों से चला सकें ऐसा बनाया।
5. सन 1865 में पेरिस के रहने वाले “Lallement” ने साइकिल के पैडल युक्त पहिए का अविष्कार किया, जिसे कि “वेलॉसिपेड (Velociped)” कहते थे। इसपर चढ़ने वाले को बेहद थकान महसूस होने लगती थी। इसी कारण इसे “बोन शेकर” भी कहने लगे थे।
World bicycle day and its history
6. ये साइकिल लोकप्रिय होने के बाद सन 1872 में इंग्लैंड, फ्रांस व् अमेरिका की कंपनियों ने इसमें सुधार कर साइकिल को एक बेहतर रूप दिया।
7. सन 1880 में एक ऐसी साइकिल का मॉडल पेश किया गया जो सुरक्षा के लिहाज़ से काफी अच्छी थी। “जॉन केम्प स्टार्ले” ने रावेर सेफ्टी साइकिल का निर्माण किया।
8. इसके बाद सन 1920 में बच्चों के लिए साइकिल निर्माण पर भी ध्यान दिया जाने लगा।
9. भारत की बात की जाए तो भारत में साइकिल का निर्माण सन 1942 में हुआ। भारत के बम्बई (मुंबई) शहर में “हिन्द साइकिल” नाम से साइकिल कंपनी स्थापित की गई।
10. सामान्य साइकिल एक घंटे में 12km का सफ़र तय करती है। इस पर लगे मरगाड़ साइकिल चलाने वाले को रास्तों पर कीचड़ या पानी लगने से बचाते हैं।
World bicycle day and its history
यह भी पढ़ें – साइकिल चलाने के फायदे
भारत की आर्थिक तरक्की की भूमिका पर ध्यान दिया जाये तो आज़ादी के कईं दशकों बाद तक देश में यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही है ‘साइकिल’। भारत में सन 1960 से 1990 तक अधिकतर परिवारों के पास साइकिल ही आने जाने का सस्ता और टिकाऊ साधन थी।
साइकिल एक बहुखूबी वाला वाहन है जिसे हो सके तो हर व्यक्ति को अपने जीवन व् दिनचर्या में ज़रूर शामिल करना चाहिए। यदि पूरा विश्व सप्ताह में एक दिन भी साइकिल का प्रयोग करे तो ईंधन की बचत होगी, प्रदुषण का स्तर कम होगा और सेहत तंदरुस्त रहेगी।
World bicycle day and its history
Amazing
👌
👌👌
👍
Nice
Nice information