“भारतीय ध्वज तिरंगे का इतिहास”

indian flag history

Indian Flag History

15 अगस्त 1947 को हम भारतवासियों ने गुलामी की बंद कोठरियों से निकलकर स्वतंत्रता की सांस ली थी। इसी दिन हमारे देश में लाल किले और अन्य सरकारी इमारतों पर पहली बार “राष्ट्रीय ध्वज” तिरंगा लहराया था। हमने अपने देश भारत को जिसे कि “सोने की चिड़िया” कहा जाता है, उसे हमारे देश के वीरों ने अंग्रेज़ों के पिंजरे से आज़ाद कराया था। इसीलिए हर साल उसी याद को ताज़ा रखने के लिए कि किस तरहं संघर्ष कर भारतियों ने हक़ की लड़ाई लड़ी थी, हम यह राष्ट्रीय पर्व बड़े गौरव व उल्लास के साथ मनाते हैं।

स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर देश के प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराकर देश को सम्बोधित करते हैं। भारत के विभिन्न राज्यों व शहरों में विशेष समारोह आयोजित होते हैं। हर राज्य के मुख्यमंत्री अपने अपने राज्य में ध्वजारोहण करते हैं।

पर क्या आप जानते हैं कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की आखिर महत्वता क्या है? यह कब बना था ? किसने बनाया था ? कौन से वर्ष में तैयार हुआ था ? तिरंगा कहाँ बनाया जाता है ? जिस झंडे को हम इतना मान सम्मान देते हैं, जो हमारे देश की पहचान है, उसका आख़िर इतिहास क्या है ?

Indian Flag History ~ Do you Know!?

  तिरंगे का अपमान करना अपराध है 

सन 1947 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तिरंगे को सबकी आज़ादी का प्रतीक चिन्ह कहा था। हमारा राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा भारत की आज़ादी के लिए चली लम्बी लड़ाई और संघर्ष को दर्शाता है। यह स्वतंत्र भारत की पहचान है। तिरंगे के बनने से लेकर इसे फहराने तक इसकी हर चीज़ और छोटी छोटी बातों का बखूबी ख्याल रखा जाता है। तिरंगे के इस्तेमाल व प्रदर्शन के लिए कई नियम तथा कानून बनाए गए हैं। जिनका पालन करना आवश्यक है।

किसी भी रूप में तिरंगे का अपमान करना अपराध की श्रेणी में आता है। जिसके तहत सजा का प्रावधान भी है।

शुरुआत में राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति आम जनता द्वारा सिर्फ राष्ट्रीय दिवस जैसे स्वतंत्रता दिवस या गणतन्त्र दिवस पर ही थी। बाकि दिनों में वे तिरंगे को नहीं फहरा सकते थे। लेकिन कुछ समय बाद यूनियन कैबिनेट ने इसमें बदलाव किया और आम नागरिकों  के लिए भी झंडे के उपयोग की अनुमति दे दी गई।

राष्ट्रीय ध्वज बनने का सफ़र

सन 1906

सबसे पहले 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के ग्रीन पार्क में झंडा फहराया गया था। इसमें तीन रंग थे। सबसे ऊपर हरा, बीच में पीला और नीचे लाल रंग था। हरे रंग के ऊपर कमल के फूल के निशान थे और बीच में पीले रंग के ऊपर “वंदे मातरम” लिखा हुआ था। सबसे नीचे लाल रंग के ऊपर एक चांद और सूरज का चित्र बना हुआ था।

सन 1907

22 अगस्त 1907 में मैडम भिकाजी कामा द्वारा इस ध्वज को जर्मनी में फ़हराया गया था। इस ध्वज में सबसे उपर हरा बीच में केसरिया व् सबसे नीचे लाल रंग था। यह ध्वज पहले वाले झंडे से मिलता जुलता था।

सन 1916 

1916 में ‘लोक मान्य तिलक’ द्वारा झंडा तैयार किया गया था। जिसे कि डॉ एनी बेसेंट की कांग्रेस सेशन ने कोलकाता में फहराया था। इस दौरान झंडे में चार रंग इस्तेमाल किए गए थे – सफ़ेद, हरा, नीला और लाल।

सन 1917

वर्ष1917 में एक नया झंडा तैयार किया गया जिसे कि बाल गंगाधर तिलक ने स्वीकार किया। उस दौरान बाल गंगाधर तिलक ” होम रूल लीग” (Home Rule League) के अध्यक्ष हुआ करते थे। इस झंडे में चार नीले और पांच लाल रंग की खादी पट्टियाँ इस्तेमाल की गई थी। इसमें एक अर्ध चाँद भी दर्शाया गया। यह झंडा सप्तऋषि के सात सितारे दर्शाता था।

सन 1921

1921 में महात्मा गाँधी ने एक नया झंडा तैयार किया जिसमें कि सफ़ेद, हरा और लाल रंग थे। सबसे ऊपर सफ़ेद रंग ‘सच्चाई का प्रतीक’, बीच में हरा रंग ‘धरती का व भारतीय खेती बाड़ी का प्रतीक’ माना गया। सबसे नीचे लाल रंग ‘ ताकत’, जज़्बे, लग्न और आज़ादी के लिए किए गए संघर्ष का प्रतीक था। यह झंडा तकरीबन आयरलैंड के झंडे से प्रेरित था।

सन 1931 

उसके बाद पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) ने 1931 में एक नया तिरंगा बनाया। इसमें भी तीन रंग- सफ़ेद, हरा व संतरी रंग इस्तेमाल किए गए। संतरी रंग की पट्टी सबसे ऊपर राखी गई। फिर सफ़ेद पट्टी और सबसे नीचे हरा रंग रखा गया। संतरी रंग एकता, त्याग, ताकत का प्रतीक है। सफ़ेद रंग सच्चाई व हरा रंग धरती, हरियाली को दर्शाता है। सफ़ेद पट्टी के बीच में एक नीले रंग का चरखा दर्शाया गया।

सन 1947

और आखिरकार 1947 में यह तिरंगा झंडा स्वीकार कर लिया गया। सन 1931 में तैयार हुए इस झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर स्वीकार तो कर लिया गया पर चरखे की जगह एक चक्र दर्शाया गया। सफ़ेद पट्टी में दिखाए गए नीले रंग के चक्र को अशोक चक्र कहा जाता है। जिसमें कि 24 डंडियां हैं और यह ‘चलते रहने का नाम ही ज़िन्दगी है और रुकने का नाम मृत्यु’ दर्शाता है।

22 जुलाई 1947 को इण्डियन कोंस्टीटूएंट असेंबली (Indian Constituent Assembly) द्वारा यह राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया गया और इसके प्रयोग व प्रदर्शन के लिए कुछ नियम- क़ानून बनाए गए। इसका मान सम्मान करना हर भारतीय का कर्त्तव्य है।

Indian Flag History

  राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण का अधिकार हर किसी को नहीं 

तिरंगे झंडे का उत्पादन करने का अधिकार केवल “हुबली के बेंगरी स्थित खादी ग्रामोद्योग” इकाई को ही दिया गया है। कर्नाटक में धरवाड़ डिस्ट्रिक्ट का बड़ा शहर है ‘हुबली’। जो कि खादी कपड़े के लिए विख्यात है। हुबली, बैलगाम से 80 किमी, गोवा से 160 किमी और दक्षिण मुंबई से 550 किमी की दूरी पर है।

तिरंगे को जिस धागे से तैयार किया जाता है, वह बगल कोट’ जिले के ‘गद्दान केरी खादी केंद्र’ में हाथों से तैयार किया जाता है। फिर इन धागों को ‘तुलसी गेरी’ खादी केंद्र भेजा जाता है। यहाँ तक कि झंडा फहराने वाली रस्सी भी यहीं तैयार की जाती है। झंडे का कपड़ा तैयार होने के बाद उसे हुबली खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ के पास भेज दिया जाता है। जहाँ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा तैयार किया जाता है।

तो इस तरह हमारा राष्ट्रीय ध्वज बना और तैयार हुआ। स्वतंत्रता दिवस पर इसे फहराकर केवल औपचारिकता निभा देना काफी नहीं है। हर भारतीय को इसका सम्मान करना चाहिए। यह हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए संघर्ष और बलिदान से प्राप्त हुई आज़ादी को दर्शाता है।

Indian Flag History

 

Priyanka G

Writer | VO Artist | TV Presenter | Entrepreneur

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4 Responses

  1. Reena Gupta says:

    Vande Mataram

  2. Harsh says:

    Nice

  3. ahmedly says:

    nicely done .. thanks for sharing

  4. misskakul14 says:

    Interesting facts

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