“शिक्षक दिवस”
Teachers Day
विशेष दिवस की घोषणा किन्हीं विशेष कारणों से ही होती है। यह उस ख़ास दिन की विशेषताओं पर ही निर्भर करता है कि उस दिवस को मनाए जाने से इसके समाज पर प्रभाव क्या होंगे। ऐसे ही कुछ ख़ास दिनों में से एक है शिक्षक दिवस। जिसे कि हर स्कूल में बच्चे व् शिक्षक बड़े उत्साह से मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इसे मनाने के पीछे वजह क्या है और इसकी शुरुवात किसने की!?
आइए इस लेख के ज़रिए जानते हैं :
शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
कब मनाया जाता है?
कैसे मनाया जाता है?
और डॉ सर्वेपल्ली राधकृष्णन के बारे में।
शिक्षक दिवस (Teachers Day) का सीधा सम्बन्ध शिक्षक व विद्यार्थियों से है। विद्यार्थी स्कूल-कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करते हैं और उन्हें शिक्षित करने वाले अध्यापक ही होते हैं, जो बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं। जिस प्रकार एक कुम्हार गीली मिटटी को सुन्दर रूप-आकार देता है उसी तरहं शिक्षक अपने विद्यार्थियों को शिक्षित कर उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचाता है।
क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस
अध्यापन कार्य से जुड़े स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति (1952 – 1962) “डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन”। इन्होंने पूरे विश्व को एक विद्यालय कहा था, तथा यह बताया कि शिक्षा द्वारा ही मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार की बहुत सी विशेषताएं ऐसी हैं जिनको शिक्षा के क्षेत्र में डॉ सर्वपल्ली द्वारा प्रयोग में लाया गया। जिसके बहुत से सकारात्मक परिणाम सामने आए। इनका मानना था कि अध्यापक अपने शिष्यों को प्रभावित कर के ही कुछ अच्छा सीखा सकता है। जिसके कि बच्चों का रुझान उस ओर जाता है और वे शिक्षा के प्रति प्रभावित होते हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में डॉ सर्वपल्ली द्वारा लागू की गई नीतियों ने इन के मित्रों व शिष्यों को बहुत प्रभावित किया। इसी वजह से इन के मित्रों और विद्यार्थियों ने ही इनके जन्मदिन को ”शिक्षक दिवस” के रूप में मनाए जाने की इच्छा व्यक्त की थी। जिससे कि सभी को शिक्षकों का महत्व समझ आए।
कब मनाया जाता है शिक्षक दिवस
जब सन 1962 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत के राष्ट्रपति (May 13, 1962 – May 13, 1967) के रूप में नियुक्त किया गया, तब इन्होंने शिक्षक दिवस मनाए जाने का फैसला किया। अपने जन्म दिन की तारीख यानि 5 सितम्बर को अध्यापकों को समर्पित करते हुए इन्होंने घोषणा की कि 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। और साथ ही इस दिन सभी योग्य शिक्षकों का सम्मान किया जाए।
देश के वे पहले ऐसे उच्चपद पर आसीन व्यक्ति थे जिन्होंने शिक्षकों के हित के बारे में सोचा। शिक्षक को समाज में सम्मान और महत्व मिले इसके लिए इन्होंने काफी प्रयास किए। इसीलिए इस दिन यानि “5 सितम्बर” को शिक्षक दिवस के रूप में मनाकर सभी अध्यापकों के प्रति मान सम्मान प्रकट करते हैं।
Teachers Day
कैसे मनाया जाता है शिक्षक दिवस
समाज में एक शिक्षक का क्या महत्व होता है और उन्हें क्यों सम्मान मिलना चाहिए, इन सभी बातों को विद्यार्थियों के माध्यम से, समाचार पत्रों द्वारा तथा अन्य संचार के माध्यमों से दुनिया के सामने लाया जाता है। यह ख़ास दिन मनाकर शिक्षक की एहमियत का एहसास करवाया जाता है। ज़िन्दगी का पहला पाठ बेशक घर से, माता पिता से शुरू होता है लेकिन बच्चा जीवन में आगे कैसे बढ़े और सफल कैसे बने यह प्रेरणा एक अध्यापक ही देता है।
इस दिन स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। बच्चे रंगमंच पर अपने अध्यापक के महत्व व सम्मान की बात अलग अलग ढंग से प्रस्तुत करते हैं। इस दौरान बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका भी मिलता है। वे शिक्षा व् शिक्षक से सम्बंधित कोई कविता, गीत, नाटक इत्यादि पेश करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापकों द्वारा दिए गए योगदान के लिए उन्हें सम्मानित भी किया जाता है।
2003 में शिक्षक दिवस के अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्बोधन करते हुए बहुत ही विशेष बात कही थी कि “एक विद्यार्थी के 25000 घंटे विद्यालय में ही व्यतीत होते हैं। इसलिए विद्यालय में आदर्श शिक्षकों का होना अनिवार्य है। जोकि बच्चे का बौद्धिक विकास के साथ साथ चहुमुखी विकास करने के योग्य हों। जिसमें शिक्षण की क्षमता हो तथा शिक्षण कार्य से प्यार हो और जो नैतिक गुणों का भी निर्माण व् विकास कर सके।”
“डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन” जिन्होंने सामान्य से लगने वाले एक गंभीर पद को उच्च दर्जा दिया, सम्मान दिलवाया आइए अब उन्हीं के बारे में जानते हैं। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें “डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी”
Teachers Day
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