हिंदी दिवस-14 सितम्बर
Hindi Diwas
“राष्ट्रीय भाषा हिंदी भारत की
नहीं करना कभी अपमान है
इस पर शर्म नहीं, गर्व है हमको
हिंदी हमारा स्वाभिमान है“
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हिंदी भाषा का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है। सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत को माना जाता है। जिसे कि ‘आर्य भाषा’ व ‘देव भाषा’ भी कहते हैं।
हिंदुस्तान… यानि हमारा देश भारत जिसकी मातृ भाषा हिंदी है और हिंदी हिंदुस्तान की आत्मा है। सभी भाषाओं में सरल, सहज और सुगम भाषा है हिंदी। हिंदी भाषा को बोलने, समझने और चाहने वालों की दुनिया में भी कमी नहीं है। लगभग 38 करोड़ भारतीय हिंदी भाषा का प्रयोग मातृ भाषा के रूप में करते हैं। इसके अलावा भारत में बोले जाने वाली कुल लगभग 50 से अधिक बोलियों में से किसी एक एक बोली में बात करते हैं।
विश्व में सार्वजानिक बोली जाने वाली भाषाओं के आंकड़ों के अनुसार हिंदी भाषा तीसरे स्थान पर हैं। विश्व की कुल 3000 भाषाओं में से हिंदी वह भाषा है जो सबसे बड़ी आबादी द्वारा प्रयोग में लाई जाती है।
हिंदी भाषा अस्तित्व में कब आई
हिंदी भाषा का जन्म ”संस्कृत भाषा” से ही हुआ है। हिंदी भाषा संस्कृत का सरलतम रूप है। हिंदी विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ साथ भारत की राष्ट्र भाषा भी है।
6 दिसंबर 1946 में संविधान तैयार करने के लिए जब संविधान सभा का गठन हुआ तब अंतरिम अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा को बनाया गया तथा डॉ राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष चुना गया।
डॉ भीमराव अंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन थे। उस दौरान विभिन्न प्रकार के कानून व नियमों के साथ साथ राष्ट्र की अपनी आधिकारिक भाषा पर भी विचार विमर्श किया गया।
तब सभी पहलुओं को मद्देनज़र रखते हुए “14 सितम्बर 1949” को भारत की संविधान सभा ने एक मत से हिंदी को भारत की अधिकारिक भाषा के तौर पर अपनाया था और हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया गया।।
वहीं 26 जनवरी 1950 को संविधान की धारा 343 के तहत 14 सितंबर को “हिंदी दिवस” घोषित किया गया।
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विश्वभर में भाषा का महत्व
भाषा के बिना कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता। प्रत्येक प्राणी के जीवन में भाषा का ख़ास महत्व है। जन्म लेते ही जब बच्चा रोता है तो वह एक ध्वनि होती है। धीरे धीरे वह बच्चा म-म शब्द बोलकर भाषा की ओर बढ़ता है। बच्चा सबसे पहले अपने घर व समाज में ही अपनी बोली या भाषा सीखता है। तथा अच्छी शिक्षा से ही व्यक्ति की भाषा विकसित होती है।
अपनी निजी और कामकाजी ज़िन्दगी में भाषा अहम् भूमिका निभाती है। भाषा पर अच्छी पकड़ इंसान को तरक्की की ओर लेजा सकती है।
माना अंग्रेज़ी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। लेकिन आज के दौर में विदेशियों का भी रुझान हिंदी और संस्कृत की ओर हो रहा है। हिंदी भाषा विश्व में अपनी छाप छोड़ती जा रही है।
किसी भी इंसान को अपनी मातृ भाषा बोलने में हिचक नहीं होनी चाहिए। आज कल लोग अंग्रेजी बोलने में अपनी शान समझते हैं। और हिंदी बोलने में शर्म महसूस करते हैं। और दूसरे हिंदी बोलने वाले को कम आंकते हैं।
ख़ास कर भारत में ये प्रचलन कुछ ज़्यादा ही दीखता है। जब विदेशों में लोग अपनी मातृ भाषा में शान से बोलते हैं, वहां गैर ज़रुरतन दूसरी भाषा को बोलकर दिखावा नहीं किया जाता, तो भारत में ही अपनी मातृभाषा को लेकर शर्म कैसी!?
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“हिंदी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा”।।।
बेशक आप दूसरी भाषाएं सीखिए, बोलिए, उसका उपयोग कीजिए, गुणगान कीजिए लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि आप अपनी मातृ भाषा को बोलने में शर्म महसूस करें।
भाषा केवल अपनी बातों व विचारों को सबके सामने रखने का एक जरिया है, आपके हुनर की पहचान नहीं।
क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस
भारत वर्ष में 14 सितम्बर 1949 में हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा मिलने के उपरांत सन 1953 में पहली बार हिंदी दिवस मनाया जाने लगा और तब से हर वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
अंग्रेजी के बढ़ते हुए चलन को देखते हुए और हिंदी भाषा की अनदेखी को रोकने के लिए हिंदी दिवस का मनाया जाना आवश्यक है। ताकि सभी में हिंदी के प्रति रूचि व् जिज्ञासा उत्पन्न हो सके। साथ ही भारत के साथ साथ विश्वभर में भी हिंदी का प्रचार व प्रसार हो।
कैसे मनाया जाता है हिंदी दिवस
14 सितम्बर का दिन भारतियों के लिए हिंदी को समर्पित होता है और इस दिन कई प्रकार के आयोजन किए जाते हैं। यहाँ तक कि देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपना सन्देश हिंदी भाषा में प्रसारित कर लोगों को हिंदी के प्रति प्रेरित करते हैं। क्योंकि अपनी मातृभाषा से अपनेपन का एहसास होता है।
इस दिन छात्रों को दैनिक व्यव्हार में हिंदी का प्रयोग तथा हिंदी के प्रति सम्मान का महत्व बताया जाता है। विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं जैसे कि हिंदी में काव्य गोष्ठी, वाद विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेखन, विचार गोष्ठी इत्यादि। इन सब के माध्यम से हिंदी भाषा पर बल दिया जाता है।
बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं के आधार पर छात्र छात्राओं को पुरुस्कार भी दिए जातें हैं। ताकि विद्यार्थी अधिक से अधिक हिंदी की ओर आकर्षित हों।
केवल बच्चों ही नहीं बल्कि सभी भारतियों को मातृ भाषा की विशेषताओं से अवगत करवाते हुए इसका महत्व समझाया जा सके इसलिए इस ख़ास दिन को मनाया जाता है। साथ ही किसी भी भारतीय को हिंदी बोलने में शर्म नहीं बल्कि गर्व महसूस हो ऐसी धरना उत्पन होसके।
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