“विश्व पर्यावरण दिवस”
World Environment Day and its history
world environment day मानव और जीव जंतुओं को बनाने से पहले ईश्वर ने हमारे लिए पर्यावरण बनाया। जल, मिट्टी और वायु सभी के लिए अनिवार्य है। जीव जन्तु, पेड़ पौधे, हवा, पानी और धरती सभी पर्यावरण का हिस्सा हैं। पर्यावरण को बनाए रखना हम सब का कर्तव्य है। क्योंकि यदि किसी भी वस्तु का उपयोग ठीक प्रकार से न किया जाए तो उस का दुष्परिणाम भी उठाना पड़ता है।
जैसे कि अगर हमने पानी का दुरूपयोग किया तो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए जल की समस्या हो जाएगी। इसी तरह अगर हम भूमि को प्रदूषित करते रहे तो उसमें उगाई गई फसलों से हमारे स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ सकता है। और तो और अगर हम पेड़ पौधों को अपने निजी फायदों के लिए युहीं अंधाधुन्द काटते रहे और नए पौधे ना लगाएं तो कई प्रकार से हमारे पर्यावरण व् सभी प्राणियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
इसका सटीक उदहारण तो हम अभी कोरोना काल में देख ही चुके हैं। किस तरहं से ऑक्सीजन को लेकर चरों तरफ हाहाकार मचा था।
World Environment Day & its history
कैसे हुई पर्यावरण दिवस की शुरुवात व इसका इतिहास :
उपरोक्त सभी बातों को मद्देनज़र रखते हुए वर्ष 1972 में 5 जून से 16 जून तक “संयुक्त राष्ट्र संघ” द्वारा महासभा का आयोजन किया गया। इस महासभा का नाम मानव पर्यावरण दिया गया। इसी महासभा में पर्यावरण दिवस मनाए जाने का भी सुझाव दिया गया। इसी के पश्च्यात वर्ष 1973 में पर्यावरण दिवस को कुछ धरती से जुड़े विषयों के आधार पर ही मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण कार्यक्रम आयोजित कर के नागरिकों को प्रदुषण की समस्याओं से अवगत करवाने का निश्चय किया गया। जिसके बाद लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाने के लिए वर्ष 1974 से विश्व के अलग शहरों में “पर्यावरण दिवस” मनाया जाने लगा।
पहली बार कहाँ मनाया गया :
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से “विश्व पर्यावरण दिवस” मानाने की शुरुवात हुई थी। 1972 में यहाँ पहली बार “वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे” के सन्दर्भ में एक सम्मेलन का आयोजन हुआ था। जिसमें 119 देशों ने हिस्सा लिया था। इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का आगाज़ हुआ। और प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित कर लोगों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया।
भारत में कब हुई पर्यावरण दिवस की शुरुवात :
1972 में स्वीडन में आयोजित सम्मलेन में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उस समय पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति और भविष्य पर पड़ने वाले इसके प्रभाव पर अपनी बात रखी थी। वह पर्यावरण को लेकर बहुत सचेत थी। भारत का पर्यावरण संरक्षण की ओर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह पहला कदम था। तभी से हर वर्ष 5 जून को हम पर्यावरण दिवस मनाते आरहे हैं। भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए 19 नवंबर 1986 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया।
पढ़ें पर्यावरण पर कविता “पर्यावरण को स्वच्छ बनाओ”
पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए क्या क्या कदम उठा सकते हैं :
पर्यावरण की सुरक्षा तभी हो सकती है जब हम सभी जागरूक हों। सुखी भविष्य की आशा रखते हुए नकारात्मकता को ख़त्म करना होगा। आस पास के माहौल को पर्यावरण सम्बन्धी सुरक्षित रखना हर मनुष्य की ज़िम्मेदारी है। इन्हीं बातों को ताज़ा करने व् इसके महत्व को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
- धरती को दूषित होने से बचाने के लिए सबसे पहले तो प्लास्टिक के उपयोग को रोकना होगा। क्योंकि प्लास्टिक को नष्ट नहीं किया जा सकता। इसे जलाने से वायु प्रदुषण और ज़मीन में दबाने से धरती प्रदूषित होती है। इसका अंत नहीं होता।
- डिस्पोज़ल बर्तनों का इस्तेमाल न करें। ऐसे बर्तन सिर्फ एक बार उपयोग कर फेंकने होते हैं जिससे की प्लास्टिक का ढेर इकट्ठा हो जाता है और ये प्रदुषण ही फैलाते हैं। प्लास्टिक में ‘पालियूरोथेन’ नाम का एक ऐसा पदार्थ पाया जाता है। जिसे की नष्ट नहीं किया जा सकता।
- हमें अपने बिजली से चलने वाले उपकरणों को जब वे इस्तेमाल में न हों तब बंद ही रखना चाहिए, युहीं खुला छोड़ कर नहीं जाना चाहिए।
- घर में पौधों को लगाने के लिए मिट्टी के गमलों का उपयोग सबसे अच्छा है बजाए प्लास्टिक के गमलों के।
World Environment Day & its history
- पानी का संरक्षण भी पर्यावरण बचाने की ओर एक एहम कदम है।
- ज्यादा से ज्यादा ऐसी चीज़ों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिन्हें दोबारा बनाया (recycle) और इस्तेमाल किया जा सकता हो।
- हो सके कागज़ों का भी दुरूपयोग करने से बचें। कागज़ बनाने में पेड़ों की ही बलि चढ़ती है इसलिए कागज़ों का सदुपयोग ही करें।
- पेड़ पौधों, जीव जंतुओं को अपना शिकार न बनाएं। जहाँ लकड़ी का प्रयोग आवशयक हो वहां पुराने से पुराने पेड़ ही इस्तेमाल में लिए जाएँ। अपने निजी विकास के लिए या लालच में आकर प्राकृतिक चीज़ों को नष्ट करने से हम अपने ही भविष्य और वर्तमान के साथ खिलवाड़ कर बैठते हैं।
- अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए ताकि हमें शुद्ध हवा मिलती रहे। पेड़ पौधों से हमें सिर्फ फ़ल-सब्जियां ही नहीं, हरियाली और शुद्ध हवा (oxygen) कड़ी धुप में छाँव भी देता है पेड़।
“पेड़ लगाओ, खुशहाली पाओ”
“आओ सब पेड़ लगाएं, मिलकर पर्यावरण दिवस मनाएं”
” पेड़ कटे, जीवन घटे”
“पौधे लगाओ, पर्यावरण बचाओ”
पढ़ें कविता “पर्यावरण को स्वच्छ बनाओ”
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