“लोहड़ी आई, लोहड़ी आई”
Lohri poem
आया लोहड़ी का त्यौहार
आओ मिलकर आग जलाएं
तिल, गुड़, रेवड़ी,
मूंगफली का थाल सजा कर
अग्नि देवता को चढ़ाएं
ढोल बजे गीत सजे
अग्नि संग हम नाचे गाएं
पा भंगड़ा पा गिद्दा
लोहड़ी के भी गीत सुनाएं
पास खड़े हो अग्नि के
सबने अपनी थाल घुमाई
फुल्ले, तिल, रेवड़ी खा कर
सर्दी सबने खूब भगाई
लोहड़ी आई लोहड़ी आई
सबने मिलजुल लोहड़ी मनाई
चाल बदल गई सूरज की अब
करवट लेली मौसम ने
बसंत ऋतू है आने वाली
लोहड़ी ने ये तान सुनाई
लोहड़ी आई, लोहड़ी आई
सबने मिलजुल लोहड़ी मनाई
।।।
जानिए कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार
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