“प्रेम की परिभाषा”
प्रेम वो नहीं…
जो चूम कर गालों को प्यार का इज़हार करे
और सामने ज़माने के अपमान करे,
प्रेम वो नहीं…
जो बोल के गीत दो प्यार के भरी महफिल में
जीना अकेले में दुश्वार करे,
प्रेम तो वो है…
जो छुए दिल को और
समझे जज़्बात मन के
छुप छुप कर देखे बरसों बाद भी
अपनी संगिनी को ताक-ताक के,
प्रेम तो वो है…
जो बेशक खाए भोजन अकेले
संग बैठे बातें 2-4 करे
पर अपने जीवन साथी की
मेहनत का ना कभी तिरस्कार करें,
प्रेम तो वो है…
जो कभी कदम मिलाकर चले ना चले
पर आँच जब साथी पर आए
तो लड़ कर ज़माने से
हमेशा हो उसके साथ खड़े।।।
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