“जो कुदरत को हो मंज़ूर”

broken heart

Broken Heart

दिल तो रोता है
पर आँसू नहीं निकलते
पत्थर हो रही आँखें
वो दिल की ज़ुबां भी नहीं समझते

मन ही नहीं जानता
कि मन क्या है चाहता
पर समझे भी कैसे
ग़मों के तूफान ही नहीं थमते

उधेड़ बुन में उलझा मन
और धुंधला गए हैं सपने
शिकायतें भी है बहुत कि वो
कभी साथ क्यों नहीं चलते

दो ज़िंदगानियों को मिलाकर
इक सुंदर स्वपन संजोया था
तब एहसास न हुआ कि
जीवन में क्या खोया था

अब नज़र आने लगी हैं
राहें और मंज़िलें भी अलग
अब तो हमारी परछाइयां भी
मुँह मोड़ने लगी हैं

जो कुदरत को हो मंज़ूर
अब तो बस वो ही सही है।

पढ़ें “Love Forever”

Broken Heart

Priyanka G

Writer | VO Artist | TV Presenter | Entrepreneur

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6 Responses

  1. Reena Gupta says:

    Heart touching poem

  2. Very nice poem, I really loved it!

  3. Anu says:

    Very nice poem.

  4. Sondipon Gogoi says:

    Nice poem

  5. Sondipon Gogoi says:

    Interesting poem

  6. SANDEEP KUMAR SARKAR says:

    Very Nice Website. Nice Articles.

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