“ऐ चाँद तू हररोज़ आया कर”
Chand
बादलों को बना के घूंघट
कभी कभी चाँद भी शरमाता है
दिखाने को अपने चेहरे का नूर
वो भी इतराता है
पलक झपक के यूँ
गायब तो नहीं होता
बस हमारा ही मन
कहीं सपनों में खो जाता है
चाँद को अपने चाँद होने
का भी घमंड नहीं
तभी तो हर रात
हमसे मिलने चला आता है
ऐसी अँधेरी रात में
एक चाँद ही तो है
जो नूर से अपने
अँधेरे को चीर जाता है
ऐ चाँद तू हररोज़ आया कर
आसमान में छाया कर
बनाकर तारों को अपना संगी साथी
धरती पर प्रकाश फैलाया कर ।।।
“श्रावण मास का महत्व और शिव भक्ति”
Chand
Wow, very touching poem. Weldon
Wow, very good
Nice from shahzadpur
👌👌👌👌
Nice