“बेटी तो सर का ताज बने”
Girl Child
1. बेटी
नारी का सम्मान करो
नारी ने जगत चलाया है
कन्या पैदा होगी घर में
रूप उसी ने नारी का पाया है
जिस घर में कन्या का मान नहीं
वहाँ दुखों का डेरा है
कन्याओं के साथ घरों में
सुन्दर सुखी सवेरा है
क्यों करते हो नफ़रत बेटी से
क्यों कोख में ही मिटा देते हो
बेटे बेटे की चाह में
असली चिराग बुझा देते हो
बेटी तो सर का ताज बने
मान बने, अभिमान बने
नाम वह घर का करती रोशन
देश की भी वो शान बने ।।।
2. भ्रूण हत्या
जिसको मार दिया कोख में
उसको कन्या बतलाया है
आने से पहले ही दुनिया में
उसे दुनिया का रंग दिखलाया है
क्या जीने का नहीं था अधिकार उसे
क्यों उसको मार गिराया है
क्यों पूजते हो कंजकों को
क्यों माथे तिलक लगाते हो
उस दिन कन्या के चरणों को धो-धो कर
क्यों अपने मस्तक लगाते हो
दिवाली पर पूजे जाने वाली
माँ लक्ष्मी भी कन्या रही होगी
माँ अम्बे दुर्गा सरस्वती भी पूजी जाती
नारी ही जगत नारायणी
फिर क्यों देवी पूजन करते हो
केवल अपने स्वार्थ की खातिर
क्यों नाम देवी का जपते हो
रोको इस भ्रूण हत्या को
सोच अपनी बदल डालो
जो पाप बढ़ाया इस धरती पर
उसका पश्चाताप करो
।।।
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That’s true words. Like this poem.
Very good
👍
Bhai bahut sundar kavita hai. Kash log samjhe ki bhroon hatya Maha paap hai.
🙏
Khushboo
What a great true poetry 👌
Nice poem
Great line Kaushlesh
Great poem..Very Touching..
Nice poem. I like it
Nice poem
Good efforts
Deepali Kardile tb – Really good poem
Sach
Arijit Roy TB — Good Poem
Keep Going
Keep Going.
@Nouman
thank you for the information
yess
Bhai bahut acchi kavita hai beti to Sir ka Taj bane
nice
Vicky tb vely poem and foto of bay i like that very much.
Bahut hi khubsurat.
Nice post
Kowsalyadevi tb
Yes