“सोने की चिड़िया भारत”
Independence
सबके रक्त का रंग है एक
यह जात पात नहीं जानता
सब की रगों में बहता है
यह धर्म नहीं पहचानता
खौल उठता है रूप इसका
जब बात स्वाभिमान की होती है
तब भी नहीं थमता गुबार
जब बात देश की आन की होती है
बौखला जाता है रूप इसका
जल कर उबाल सा आने लगता है
तन को कर अंगारों सा तेज़
मर मिटने पर उतारू हो जाता है
भारत की आज़ादी को हो गए
बेशक इतने साल मगर
अत्याचार की ज़ंजीरों और
भ्रष्टाचार से देश अभी आज़ाद नहीं
देश की रक्षा, देश के मान की खातिर
जिन्होंने अपनी जान गवाईं है
उनकी बदौलत ही हमने
आज़ादी पाई है
हम सच्चे भारत वासी हैं अगर
तो हमे अपना फ़र्ज़ निभाना है
सोने की चिड़िया भारत को
सोने सा चमकना है ।।।
Independence
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