“जन्माष्टमी”
Janmashtmi
भारत त्यौहारों का देश है। यहाँ अलग अलग धर्म, प्रान्त के लोग रहते हैं लेकिन त्यौहार सब मिल जुल कर मनाते हैं। भारत में हर त्यौहार बड़े हर्षोउल्लास के साथ व् भक्ति भावना से मनाया जाता है। ऐसा ही एक भक्तिमय त्यौहार है “जन्माष्टमी “. पढ़िए जन्माष्टमी पर एक खूबसूरत कविता। साथ ही जानिए कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व कब, क्यों, कहाँ, कैसे मनाया जाता है।
“जन्माष्टमी”
आया जन्माष्टमी का त्यौहार
आओ मिलकर त्यौहार मनाएं
झूला फूलों से सजाकर
कान्हा को झूले में झुलाएं
झूला झुलाएं सब नर नारी
बच्चे बूढ़े और पुजारी
बाल बालिकाएं करें लीलाएं
झांकियों के भी दर्शन पाएं
चरणों में शीश निवा कर
मनोकामना पूर्ण हो जाए
पंजीरी धनिया की बनाकर
भोग चरणामृत व फलों का लगाकर
अर्ध रात्रि व्रत खुलवाएं
जयकारे श्रीकृष्ण के गाएं
।।।
Janmashtmi
श्री कृष्ण को भगवान श्री विष्णु का 8वां अवतार माना गया है। कृष्ण का अवतार लेने से पहले भगवन विष्णु ने 7 अवतार लिए थे। वह थे-
मत्स्य अवतार
कूर्म अवतार
वराह अवतार
नरसिंह अवतार
वामन अवतार
परशुराम अवतार
राम अवतार
और उक्त सभी अवतारों के बाद 8वां अवतार श्री कृष्ण के रूप में लिया। मथुरा के कारागार में ही भादो मास (भाद्र पद) की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात के समय रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण भगवान का जन्म हुआ। तब वासुदेव को आकाशवाणी हुई कि गोकुल में उन के मित्र नंदबाबा के घर कन्या पैदा हुई है। वासुदेव कृष्ण को वहां छोड़ आएं और उस कन्या को अपने साथ ले आएं। ये ईश्वर की लीला ही थी कि जेल के सभी दरवाज़े अपने आप खुल गए और सभी पहरेदारों को गहरी नींद आगई। अधिक जानने के लिए पढ़िए “कब क्यों कैसे कहाँ मनाई जाती है जन्माष्टमी”
Janmashtmi
Boht badiya
Jai shree krishna
जय जय श्री राधे
Jai Jai Shree Radhe