“होता न मज़दूर तो!!!”

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labourer

Labour Day

“होता न मज़दूर तो!!!”

होता न मज़दूर
तो ये आशियाने न बनते
आशियाने तो दूर
ईंट पत्थर के ठिकाने न बनते

ये तो तकदीर थी उसकी
कि लकीरों में हाथों की
ठाठ बाठ से जीना न होकर
कन्धों पर बोझ ढ़ोते रहे

कोई काम छोटा बड़ा नहीं
छोटी बड़ी तो होती है
सोच इंसान की

बेशक करता वो मज़दूरी
पर अपनी मेहनत से कमाता है
दो वक़्त की रोज़ी रोटी को
दुनिया की ठोकरें खाता है

व्यथा यही मज़दूर की
यही उसकी ज़िन्दगी की कहानी
मजबूरन अपने ख्वाबों को रौंदकर
दूजों के सपनों के महल बनाता है
।।।

Labour Day

“दुनिया के आशियाने बनाता मज़दूर”

इन आँखों की क्या मज़ाल थी
कि वो भी देखले ख़्वाब अपना

ये कलयुग की दुनिया है प्यारे
आसां नहीं यहां अपने सपनों को पूरा करना

ख़्वाबों की तो बात ही दूर
इंसान यहाँ हालातों से मज़बूर

अपने सपनों को दफ़न कर
दुनिया के आशियाने बनाता मज़दूर

ज़िन्दगी के ऐशों आराम पाने को
आदमी दिन रात पैसों के पीछे भागता है

मज़दूर है कि मेहनत कर
पूरे परिवार का पेट पलता है

कमाल कारीगिरी इन मज़दूरों की
जो कागज़ पर बने नक्शों को
ईमारत के रूप में ढालता है।।।

“सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल कथन”| Sardar Vallabhbhai Patel Quotes

 

Priyanka G

Writer | VO Artist | TV Presenter | Entrepreneur

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17 Responses

  1. Uma says:

    👌👌

  2. Reena Gupta says:

    👍

  3. Reena Gupta says:

    👍👍

  4. Ritu says:

    👌👌

  5. Ishan Mittal says:

    👌👌👌

  6. Sahil says:

    👌

  7. deepika says:

    👌👌👍

  8. Anu says:

    Real poem.

  9. Sangeeta says:

    Regards for labour,

  10. Seema Bhatia says:

    Really beautiful

  11. Neeru Gautam says:

    Very nice poem

  12. Manjit kaur says:

    Very true

  13. Seema Bhatia says:

    Beautiful

  14. Neeraj says:

    Lovly poem

  15. Kusum says:

    Nice poem

  16. Jeet says:

    Nice

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