“मौत के साए में जीवन”
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Life and death
मौत के साए में जीवन
जीवन नहीं बुरे सपने
के डर के समान है
जो पीछा ना छोड़े कभी
जब तक शरीर में प्राण हैं
डर डर के क्यों जीना
इक दिन यह देह तो
जानी है छोड़
चाहे आज, चाहे कल
कर्मों का चुकाना पड़ता है मोल
आखिर कब तक चलेंगी
ये सांसे, कब तक बंधी रहेगी
जीवन की यह डोर
देह तो मिल जानी माटी में
पीछे रहेंगे बस मीठे तेरे बोल
तो न कर घृणा किसी से
ना चल रस्ते पर बदी के
छोटी सी मिली है ज़िन्दगी
बिता हर लम्हा ख़ुशी से।
Life and death
👍
Very nice