“ये दुराचारी”
Molestation Poem
ये दुराचारी, बलात्कारी
किसने इनकी मत मारी
इनके संस्कारों में खोट रही
या मानसिक इन्हें है बीमारी
दुष्टता क्रूरता इनकी
इंसानियत पर हैवानियत भारी
इन हैवानों की नगरी में
कैसे रहे महिला बेचारी
मुश्किल से तो वह दिन आया था
जब चार दीवारी से निकली नारी
पर इन हैवान दरिंदो को
रास न आई औरत की आज़ादी
औरत तो क्या
नवजन्मी कन्याओं को भी न बक्शा
लगाकर ग्रहण उसके जीवन को
बनाया समाज में बेबस नारी
ऐसे लोग न हैं तरस के लायक
न हो इनकी सज़ा में कोई लापरवाही
ऐसा इन्हें सबक मिले
फिर कभी न जन्में कोई अपराधी
।।।
Molestation Poem
पढ़ें कविता “ज़ुल्मों का बसेरा”
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