“ऐसी बरसात में भीग जाने को जी चाहे” 

rain

Rain

ये बारिश, ये मौसम
ये काले बादल, ये घटाएं

टिप-टिप बरसता पानी
हमारे सोए सपनों को
इक इशारा दे जाए

हर सुबह यूँ तो
इक रात से जागते हैं हम

पर जो अरमां सो गए हमारे
उन्हें कौन जगाए

बरसात यूँ तो भिगोती है तन को
मन की उमंगों के भी तार छेड़ जाए

ऐसा भिगोए दिल से रूह तक
कि एक नया एहसास तिलमिलाए

कुछ कर दिखाने का जोश
जो रह गया था बाकी

वह अरमां फिर उमड़ आए
ऐसी बरसात में भीग जाने को जी चाहे।।।

पढ़ें – “नया सवेरा नईं उम्मीदें”

Rain

Priyanka G

Writer | VO Artist | TV Presenter | Entrepreneur

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3 Responses

  1. Neeraj says:

    Very nice 👍👍

  2. Reena Gupta says:

    Nice poem 👌

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