“ये सावन का महीना”
Savan
ये सावन का महीना
कई त्यौहार भी साथ लाता
चारों ओर हरियाली
बाज़ारों की भी रौनक बढ़ाता
आज़ादी का दिन भी सावन में आया
त्यौहारों का इस ने आनंद बढ़ाया
ईद उल जूहा और मुहर्रम मनाई
तीज और राखी भी सावन में आई
करें हिन्दू अशून्य श्यन व्रत को
तीज के बाद नाग पंचमी मनाई
करें नाग पूजा सब माड़ी पर जाके
मीठे पकवान और पूड़ी बनाके
सावन की मनाते हैं पवित्र एकादशी
कुछ राज्यों में पूर्णिमा मनाई जाती
जो बसे समुद्र किनारे पे राज्य
वो चढ़ाकर नारियल देवों को ध्याएं
आया महीना श्रावण का
आओ संग सावन के त्यौहार मनाएं
।।।
सावन शिव भक्ति का महीना तो है ही लेकिन काफी सारे त्यौहार भी इस मास की महत्वता को बढ़ा देते हैं। अलग अलग रूप में मनाए जाने वाले सभी त्यौहार अलग अलग महत्व लिए हुए हैं। देवी देवताओं का पूजन अपने अपने राज्यों व रीती रिवाज़ अनुसार किया जाता है। जैसे जिन राज्यों के साथ समुद्र तट लगता है तो वह जल देवता की तथा अपने अपने इष्ट देवता की पूजा जल में नारियल चढ़ा कर करते हैं।
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भारतीय परम्पराओं के अनुसार हिन्दू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है। वैसे तो भारत त्यौहारों का देश है। हर महीने कोई न कोई विशेष दिवस मनाया जाता है। जिस कारण भारत के हर मास की अपनी विशेषता है।
हिन्दू धर्म के कैलेंडर के अनुसार 12 महीनों के नाम इस प्रकार दिए गए हैं-
पौष, माघ, फाल्गुन, चैत्र, बैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण( सावन), भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक और मार्गशीर्ष।
पक्ष– प्रत्येक मास के दो पक्ष होते हैं : कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष।
इन्हें चन्द्रमा की स्थिति के साथ जोड़ा गया है। जिस रात चन्द्रमा का छोटा सा भाग दिखाई देने लगता है। और हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा बढ़ता हुआ 15 दिन में पूरा चाँद दिखाई देता है। पहले दिन से पूरा चाँद दिखाई देने तक की इस स्थिति को “शुक्ल पक्ष” कहते हैं। जिसे कि आम बोली में ‘चानण’ भी कहा जाता है। जिस रात पूर्ण चन्द्रमा दिखाई देता है उसे पूर्णिमा कहते हैं।
इस से अगले ही दिन “कृष्ण पक्ष” शुरू हो जाता है। इस दौरान चन्द्रमा धीरे धीरे कम होकर अगले 15 दिन में बिलकुल गायब हो जाता है। जिस रात बिलकुल भी चन्द्रमा दिखाई नहीं देता वह अमावस्य की रात कहलाती है।
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श्रावण मास का महत्व तथा शिव भक्ति
सभी महीनों की अपनी विशेषता के साथ साथ श्रावण मास की अपनी खासियत है। श्रावण मास भगवन शिव को समर्पित है। तथा भगवान शिव इस मास में अपने भक्तों द्वारा की गई भक्ति का विशेष फल प्रदान करते हैं। इसलिए इस मास में शिव भक्ति का विशेष महत्व है।
ऐसी भी मान्यता है कि श्रावण मास में सोमवार के विधि पूर्वक व्रत करने से पूरे वर्ष के सभी सोमवार जितना फल मिलता है। इसी कारण श्रावण मास में अधिक से अधिक लोग सोमवार के व्रत रखने की भावना रखते हैं। बाकि अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार लोग शिव भक्ति करते हैं।
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