“हर कोई किसी को रुलाता है”
यह जिंदगी का दस्तूर है यारों
यहां हर कोई किसी न किसी को रुलाता है
कोई जीते जी दिल दुखाता है
तो कोई जिंदगी के बाद रुला जाता है,
इतना भरोसा ना कर जिंदगी की महफिल पर
ये पल दो पल की है चकाचौंध
फिर गुमनाम अंधेरा है
ना कोई संगी है ना साथी है,
जो साथ चले थे सब छूट गए
धागे रिश्तों के टूट गए
जो थे संग कभी ज़माने में
हम उनकी चाह में लुट गए…
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