“ज़माने के साथ चलूंगी”
Strong Women
हाँ..मैं नारी..
कन्या के रूप में जन्म लिया
नहीं थी बचपन से लाचारी
नारी चाहे हो आज के युग की
या हो बात बरसों पुरानी…
हर दौर में महिलाओं ने
भेदभाव यह बर्दाश्त किया
अब ना रहूंगी पिंजरे में
अपनी शक्ति का एहसास किया…
महिलाओं के नाम पर जो
अत्याचार यह बार-बार हुआ
नहीं सहूंगी और ये पीड़ा
अब ये मैंने ठान लिया…
अहिंसा का मार्ग अगर
बापू ने बतलाया था
तो नारी संग हिंसक रवैया
यह किसने सिखलाया था…
नहीं डरूंगी, नहीं रुकूंगी
ज़माने के साथ चलूँगी
इज्ज़त से जो उठेंगी आँखें
उनका दिल से मान करूंगी…
पग-पग आगे बढ़ेगा भारत
दुनिया में छाप गढ़ेगा भारत
नर नारी को मिला समान मौका
नया इतिहास रचेगा भारत।।
Strong Women poem
“नारी की ताकत”
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