“गुरु”
Teachers
टीचर – शिक्षक – अध्यापक – गुरु
इन सब नामों से सम्बोधित किया उन्हें जाता है
गुरु का अपने हमेशा सम्मान करो
ऊपर विधाता तो नीचे गुरु विद्या का ज्ञाता है
अच्छे बुरे की हो बेशक हमें समझ
पर संस्कारों के साथ हमें विज्ञान का पाठ पढ़ाता है
शिक्षक गुरु कहलाता है
‘गु’ का अर्थ गुणातीत, जो अर्थों का बोध करवाता है
‘रु’ अक्षर है रूप रहित वो
जो हर स्थिति में ज्ञान बढ़ाता है
गुण और रूप दोनों देता है शिक्षक
तभी तो गुरु कहलाता है
विद्या में माँ सरस्वती को पूजा
गुरु भी तो रूप उनका बनकर आता है
आदर-सत्कार, मान-सम्मान का
हक़दार है वो हर शिक्षक
जो दिन-रात कर खुद मेहनत
बच्चों को उनकी मंज़िल तक पहुंचाता है
।।।
Teachers ~ पढ़ें “डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी”
शिक्षक दिवस (Teachers Day) का सीधा सम्बन्ध शिक्षक व विद्यार्थियों से है। विद्यार्थी स्कूल-कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करते हैं और उन्हें शिक्षित करने वाले अध्यापक ही होते हैं, जो बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं। जिस प्रकार एक कुम्हार गीली मिटटी को सुन्दर रूप-आकार देता है उसी तरहं शिक्षक अपने विद्यार्थियों को शिक्षित कर उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचाता है।
अध्यापन कार्य से जुड़े स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति (1952 – 1962) “डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन”। इन्होंने पूरे विश्व को एक विद्यालय कहा था, तथा यह बताया कि शिक्षा द्वारा ही मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार की बहुत सी विशेषताएं ऐसी हैं जिनको शिक्षा के क्षेत्र में डॉ सर्वपल्ली द्वारा प्रयोग में लाया गया। जिसके बहुत से सकारात्मक परिणाम सामने आए। इनका मानना था कि अध्यापक अपने शिष्यों को प्रभावित कर के ही कुछ अच्छा सीखा सकता है। जिसके कि बच्चों का रुझान उस ओर जाता है और वे शिक्षा के प्रति प्रभावित होते हैं। अधिक पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें “ शिक्षक दिवस ”।।।
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