“नारी तेरी क्या परिभाषा दूँ”

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Image by jiao tang from Pixabay

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नारी तेरी क्या परिभाषा दूँ
तू तो जग की इक आशा है

तूने ही तो वीरान धरती को 
संसार के रूप में तराशा है 

तेरे नाम अनेक, स्वरुप अनेक 
जो रिश्तों की डोरी में बंधकर 

तू रिश्तों को आगे बढाती है 
कभी पुत्री का फर्ज़ निभाती है 

फिर छोड़कर ये घर आंगन 
ससुराल घर बस जाती है 

यह तेरी शक्ति
यह प्रेम है तेरा 

ईंट पत्थर की चार दीवारी को तू 
घर बनाकर महकती है 

हे नारी, तू ही तो है जग में 
जो आदमी को इंसान बनाती है
।।। 

पढ़िए नारी पर एक अन्य खूबसूरत कविता “नारी की ताकत”

Woman

Priyanka G

Writer | VO Artist | TV Presenter | Entrepreneur

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8 Responses

  1. T.k says:

    Very nice

  2. Jaspreet says:

    Beautiful lines👍👌

  3. T.k mittal says:

    Nice explanation

  4. TARSEM says:

    Nice poem about a woman

  5. Parvee Mittal says:

    Nice

  6. Harshit says:

    👍

  7. Music World says:

    Great content.Glad to find such type of content.

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