“नारी की ताकत”
Women Empowerment
ना लो बार बार इम्तिहान नारी का
ना परखो नारी की ताकत
जब जब टूटा बांध सब्र का
आई इस दुनिया पर आफत
वह जब तक सहती
कुछ न कहती
आखिर नारी भी तो
इसी दुनिया में है रहती
जब जब जुल्म बढ़ेगा
आवाज़ उठेगी
तब उसकी इक गर्जना से
ये दुनिया कांप उठेगी
नाज़ुक बेशक दिखती नारी
पर नहीं ये बेचारी
है लाचार मजबूरन
पर मनोबल से अपने कभी न हारी
ना ललकार, ना फटकार
नारी के सम्मान को बार बार
देगी जब वो जवाब इसका
तुझको इतना पड़ेगा भारी !!!
Nice poem
Nice and true poem. जय दुर्गे
👍
Jai Nari, liked and loved it.
Naari shakti ki jai ho. Kmaal ka likha h. Very good
Nice👍
Nice poem
Nice 👍