“लव ज़िन्दगी करो ना”
Depression
लव ज़िन्दगी करो ना
तुम हो तो परिवार है
तुमसे ही तो यार है, प्यार है, परिवार है
ज़िन्दगी में बहार है
तो अपनी परवाह भी तो कुछ करो ना
लव ज़िन्दगी करो ना
क्यों बैठे हो ऐसे गुमसुम
होठों को सिले हुए
चेहरे पर कौरा कौरा आलम
और दिल में तूफ़ान समेटे हुए
क्या हुआ जो कुछ मुश्किलें आगई सामने
डटकर सामना इसका करो ना
जीतकर निकलोगे हर बाज़ी
विश्वास को न गिरने दो ना
तुमसे न किसी को गिले हुए
ना शिकवों की चिट्ठी भेजी
दीवार थी जिन रिश्तों में
थी कच्ची मिट्टी की बनी हुई
छोड़ दो दिल पे लगी उन बातों को
ऐसे रिश्ते नातों को
जिन के शब्दों से तलवार चले
दिल को न जिनसे ख़ुशी मिले
टूट गए सब घमंड के पत्थर
दूर जब तुम सच्चे अपनों से हुए
इतना तूफान समेटे अपने अंदर
कि बात दिल की भी कह ना सके
अब आजाओ, अब लौट आओ
प्रेम का सागर भरो ना
छोड़ कर मन की सारी उलझने
दुःख हमसे साँझा करो ना
लव ज़िन्दगी करो ना
लव ज़िन्दगी करो ना ।।।
Depression
पढ़ें कविता “करना है सपनों को साकार”
Nice poem]
Nice 👍
Nice
Nice one
Very nice
Dil ko chu liya, close to reality.