“नारी तेरी क्या परिभाषा दूँ”
Woman
नारी तेरी क्या परिभाषा दूँ
तू तो जग की इक आशा है
तूने ही तो वीरान धरती को
संसार के रूप में तराशा है
तेरे नाम अनेक, स्वरुप अनेक
जो रिश्तों की डोरी में बंधकर
तू रिश्तों को आगे बढाती है
कभी पुत्री का फर्ज़ निभाती है
फिर छोड़कर ये घर आंगन
ससुराल घर बस जाती है
यह तेरी शक्ति
यह प्रेम है तेरा
ईंट पत्थर की चार दीवारी को तू
घर बनाकर महकती है
हे नारी, तू ही तो है जग में
जो आदमी को इंसान बनाती है
।।।
पढ़िए नारी पर एक अन्य खूबसूरत कविता “नारी की ताकत”
Woman
Very nice
Beautiful lines👍👌
Nice explanation
Nice poem about a woman
Nice
Good Thought….
👍
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