“हवा”

hawa

Hawa

पत्ते जब भी हिलें कभी
बात एक मन में आती है

हवा से हिलते हैं ये पत्ते
पर हवा कहाँ से आती है !?

दिखता नहीं है रूप हवा का
अपना एहसास बस करवाती है

 वायु, पवन, बयार, समीर, मरुत्
ये सब हैं नाम हवा के

इसी से सब जन जीवन है
सभी के प्राण शुद्ध वायु में हैं बसे

जल, आकाश, आग, धरा और हवा
ये सब प्राकृतिक साधन हैं

मानव न कर सके निर्माण जिसका
ये कुदरत की रचना है
।।।

पढ़ें कविता –  “पानी रे पानी”

Priyanka G

Writer | VO Artist | TV Presenter | Entrepreneur

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