“वो बचपन वो मस्ती वो यादें”

Childhood
बड़ी मस्ती भरे थे वो दिन
जो हम न भूल पाएंगे
बनकर फोटो जो
हमारे दिल की एल्बम में
बार बार याद आएंगे
वो नटखट नादानियाँ
बेपरवाह मस्तानियाँ
दुनिया के शोरगुल से
थी दूर ज़िंदगानिया
कक्षा का माहौल था ऐसा
करते थे प्रार्थना टीचर के न आने की
अगर आजाए, तो करते इंतज़ार
किसी के बेल बजाने की
इक दूजे की शिकायतों का था
प्रचलन इतना सरहाए
गलती खुद करें
मार दूसरे को पड़वाएं
होता था कक्षा में हँसना-हँसाना
ज़ोर ज़ोर से हल्ला मचाना
जब आ जाए टीचर
तो खोल के किताबें पढ़ने का ढोंग रचाना
हर एक के थे खेल अजब निराले
पर सबके चेहरे भोले भाले
हम न भूल पाएंगे
वो दिन वो मस्ती वो यादें ।।।
पढ़ें- “आम फलों का राजा है”
Childhood
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bachpann ki yaade… Masti bhare din …. Nice poem


Nice from shahzadpur
Very Good
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Appreciable