“मेरी रेल”
Train Poem
मेरे पास खिलौना रेल
देखो बच्चों मेरी रेल
छुक छुक यह करती है
चाबी देकर चलती है
इधर उधर भी मुड़ती है
इंजन इसका भागा जाए
पीछे पीछे डिब्बे आएं
सब बच्चों को साथ भगाए
नकली हम भी टिकट बनाएं
सिटी देकर इसे रुकाएं
खेलम खेल हम खेलें खेल
ऐसी अद्भुत हमारी रेल
।।।
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